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Wednesday, 7 December 2016

यूपी के 21 लाख कर्मचारियों को केंद्र के समान सातवें वेतन की सिफारिश

Ragini Srivastav     18:05:00  No comments

यूपी के 21 लाख कर्मचारियों को केंद्र के समान सातवें वेतन की सिफारिश

सातवें केंद्रीय वेतन आयोग की सिफारिशों को प्रदेश में लागू करने के बारे में गठित राज्य वेतन समिति ने अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को सौंप दी है।

लखनऊ (राज्य ब्यूरो)। उत्तर प्रदेश के 21 लाख कर्मचारियों और पेंशनरों को सातवें वेतन की सौगात देने की कवायद एक कदम और आगे बढ़ी है। सातवें केंद्रीय वेतन आयोग की सिफारिशों को प्रदेश के विभिन्न वर्गों के कर्मचारियों पर लागू करने के बारे में विचार करने के लिए गठित राज्य वेतन समिति ने अपनी पहली रिपोर्ट बुधवार को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को सौंप दी है। सूत्रों के मुताबिक राज्य वेतन समिति ने अपनी रिपोर्ट में विभिन्न वर्गों के कर्मचारियों के लिए प्रस्तावित सातवें वेतन के ढांचे को केंद्र सरकार के समान रखने की सिफारिश की है।

अध्यक्ष जी.पटनायक की अगुआई में राज्य वेतन समिति के सभी सदस्यों ने मुख्यमंत्री के सरकारी आवास पर जाकर उन्हें अपनी रिपोर्ट सौंपी। इस मौके पर प्रमुख सचिव वित्त अनूप चंद्र पाण्डेय भी मौजूद थे। सूत्रों के अनुसार समिति ने सातवें वेतनमान को पहली जनवरी, 2016 से लागू करने की सिफारिश की है। राज्य वेतन समिति की रिपोर्ट मिलने पर सरकार इस पर जल्द ही कैबिनेट की मुहर लगवाएगी। सरकार को यह तय करना होगा कि रिपोर्ट की सिफारिशों को कब से लागू करना है। चुनावी साल होने के कारण माना जा रहा है कि सरकार जल्दी से जल्दी कर्मचारियों को सातवें वेतन की सौगात देना चाहेगी। उम्मीद जतायी जा रही है कि सरकार नये साल की शुरुआत यानी जनवरी में कर्मचारियों को यह तोहफा दे सकती है

सातवें वेतन की सिफारिशें पहली जनवरी 2016 से लागू होनी हैं, इसलिए सरकार को कर्मचारियों को दिये जाने वाले एरियर के भुगतान की प्रक्रिया भी तय करनी पड़ेगी। राज्य सरकार ने छठवें वेतनमान के समय कर्मचारियों को एरियर का भुगतान तीन सालाना किस्तों में किया था। पहली किस्त में कुल एरियर का 20 प्रतिशत और बाकी दो किस्तों में 40-40 प्रतिशत का भुगतान हुआ था। भत्तों को लेकर केंद्रीय आयोग ने कोई सिफारिश नहीं की है, इसलिए राज्य वेतन समिति भी अपने पहले प्रतिवेदन में इस पर खामोश है। अमूमन राज्य कर्मचारियों को महंगाई भत्ता भी केंद्रीय कार्मिकों के समतुल्य मिलता है।

Monday, 28 November 2016

सातवें वेतन समिति की रिपोर्ट तैयार, सीएम से मांगा समय

Ragini Srivastav     16:17:00  No comments

सातवें वेतन समिति की रिपोर्ट तैयार, सीएम से मांगा समय

सातवें केंद्रीय वेतन आयोग की सिफारिशों को प्रदेश के विभिन्न वर्गों के कर्मचारियों पर लागू करने के लिए गठित राज्य वेतन समिति ने अपनी पहली रिपोर्ट तैयार कर ली है।

    सूबे के 21 लाख कर्मचारियों और पेंशनरों को सातवें वेतन आयोग की सौगात जल्द मिलने की उम्मीद है। सातवें केंद्रीय वेतन आयोग की सिफारिशों को प्रदेश के विभिन्न वर्गों के कर्मचारियों पर लागू करने के बारे में विचार करने के लिए गठित राज्य वेतन समिति ने अपनी पहली रिपोर्ट तैयार कर ली है। समिति के अध्यक्ष जी.पटनायक ने रिपोर्ट सौंपने के लिए मुख्यमंत्री से समय मांगा है। संभावना है कि समिति की रिपोर्ट मुख्यमंत्री को इसी महीने सुपुर्द कर दी जाएगी। 
सूत्रों के मुताबिक, रिपोर्ट में विभिन्न वर्गों के कर्मचारियों के लिए प्रस्तावित सातवें वेतन के ढांचे को केंद्र सरकार के समतुल्य रखा गया है। राज्य वेतन समिति की रिपोर्ट मिलने के बाद सरकार इस पर अगले माह कैबिनेट की मुहर लगवाएगी। सरकार को यह तय करना होगा कि रिपोर्ट की सिफारिशों को कब से लागू करना है। चुनावी वर्ष होने के कारण माना जा रहा है कि सरकार जल्दी से जल्दी कर्मचारियों को सातवें वेतन की सौगात देना चाहेगी। संभावना जतायी जा रही है कि सरकार नये साल की शुरुआत यानी जनवरी में कर्मचारियों को यह तोहफा दे सकती है। राज्य सरकार ने चालू वित्तीय वर्ष के बजट में कर्मचारियों को सातवें वेतन के भुगतान के लिए धनराशि की व्यवस्था की है। 
चूंकि सातवें वेतन की सिफारिशें पहली जनवरी, 2016 से लागू होनी हैं, लिहाजा सरकार को कर्मचारियों को दिये जाने वाले एरियर के भुगतान की प्रक्रिया भी तय करनी होगी। छठवें वेतनमान के समय राज्य सरकार ने कर्मचारियों को एरियर का भुगतान तीन वार्षिक किस्तों में किया था। पहली किस्त में कुल एरियर का 20 प्रतिशत और बाकी दो किस्तों में 40-40 फीसद का भुगतान हुआ था। चूंकि भत्तों को लेकर केंद्रीय आयोग ने कोई सिफारिश नहीं की है, लिहाजा राज्य वेतन समिति ने भी अपने पहली प्रतिवेदन में इस पर चुप्पी साधी है। वैसे राज्य कर्मचारियों को महंगाई भत्ता भी केंद्रीय कार्मिकों के समतुल्य मिलता है।

Saturday, 9 July 2016

बीटीसी-2013 के अभ्यर्थी बिगाड़ेंगे शिक्षक भर्ती का गणित

Ragini Srivastav     17:01:00  No comments

बीटीसी-2013 के अभ्यर्थी बिगाड़ेंगे शिक्षक भर्ती का गणित

सामान्य वर्ग के लिए 400 रूपए फीस निर्धारित की गई है। एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग को 100 रूपए फीस देनी होगी

शासनादेश जारी होने की तिथि तक सहायक अध्यापक के लिए अर्हता रखने वाले अभ्यर्थी ही परिषदीय विद्यालयों के लिए घोषित होने वाले 16448 सहायक अध्यापकों के पद पर आवेदन करेंगे। प्रदेश के बेसिक शिक्षा सचिव की ओर से की गई इस घोषणा के साथ उन्हीं के विभाग से जुड़े सचिव परीक्षा नियामक कार्यालय के लोग हवा निकालने की कोशिश में लगे हैं। सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी की ओर से 16448 शिक्षकों की भर्ती की अंतिम तिथि बीतने के एक दिन पहले बीटीसी-2013 बैच का रिजल्ट आनन-फानन में जारी करने की कोशिश पूरी प्रक्रिया पर ही सवालिया निशान लगा रहा है।

शासन एवं परीक्षार्थियों के दबाव में आकर परीक्षा नियामक कार्यालय की ओर से बीटीसी-2013 का परिणाम घोषित किया जाना पूरी प्रक्रिया को जांच के दायरे में शामिल कर दिया है। बीटीसी-2013 की कॉपियों के मूल्यांकन में गड़बड़ी का आरोप लगाकर बीटीसी-2011 एवं 2012 बैच के प्रशिक्षुओं ने इसके दोबारा मूल्यांकन की मांग की है। अभ्यर्थियों ने आरोप लगाया था कि परीक्षा नियामक कार्यालय के एक बाबू विजय शंकर पांडेय ने पैसा लेकर कापियों के मूल्यांकन में गड़बड़ी की थी। इस बात को लेकर अभ्यर्थियों की शिकायत के बाद संबंधित बाबू का तबादला कर दिया गया।

बीटीसी-2013 के अभ्यर्थी अब परीक्षा परिणाम घोषित हो जाने के बाद से 16448 सहायक अध्यापकों की भर्ती के लिए आवेदन कर सकेंगे। यदि बीटीसी-2013 के प्रशिक्षु बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से घोषित पदों केलिए आवेदन करने में सफल हो गए तो यह प्रशिक्षु कोर्ट में याचिका दाखिल करके उन्हें भी भर्ती में मौका देने के लिए गुहार लगा सकते हैं। मामला न्यायालय गया तो पूरी शिक्षक भर्ती प्रक्रिया विवादों में फंस सकती है। फिलहाल परीक्षा नियामक कार्यालय की ओर से परिणाम की घोषणा के साथ वेबसाइट पर रिजल्ट एक सप्ताह बाद देखा जा सकेगा घोषणा करके बीटीसी-2013 के अभ्यर्थियों की उम्मीद धुंधली कर दी है।

परीक्षा नियामक प्राधिकारी की ओर से बीटीसी-2013 चतुर्थ सेमेस्टर की परीक्षा का रिजल्ट 15 जुलाई तक जारी करने की घोषणा के बाद आखिरकार किसके दबाव में आनन-फानन में नौ जुलाई को ही घोषित कर दिया गया। सात जुलाई से लगातार सरकारी कार्यालयों में अवकाश के बाद आखिरकार छुट्टी के दिन परिणाम कैसे घोषित किया। कार्यालय के सूत्रों का कहना है कि परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय के एक बड़े अधिकारी के पास सरकार के एक मंत्री का फोन आया था, इसमें परीक्षा परिणाम जल्द घोषित करने के लिए कहा गया।

परीक्षार्थियों ने आरोप लगाया कि मूल्यांकन में गड़बड़ी हुई है, यह बात परीक्षा नियामक कार्यालय के बाबू पर आरोप लगाए जाने के बाद हुए उसके तबादले से स्पष्ट हो गया है। अब इस मामले की जांच कराए बिना परीक्षा परिणाम जारी करके सचिव परीक्षा नियामक मनमानी कर रही है। परिणाम घोषित किए जाने की सूचना पर बड़ी संख्या में बीटीसी-2011 एवं 2012 के प्रशिक्षु परीक्षा नियामक कार्यालय पर जमे रहे।

Friday, 8 July 2016

विज्ञान-गणित के शिक्षक नहीं, माध्यमिक स्कूलों मे पढ़ाई ठप 

Ragini Srivastav     18:10:00  No comments

विज्ञान-गणित के शिक्षक नहीं, माध्यमिक स्कूलों मे पढ़ाई ठप 

प्रदेश के राजकीय एवं सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में विज्ञान-गणित एवं अंग्रेजी के शिक्षकों के पदों पर पिछले छह वर्ष से नियुक्ति एवं चयन प्रक्रिया ठप पड़ी होने से पढ़ाई ठप पड़ गई है। प्रदेश के अधिकांश स्कूलों में हिन्दी एवं सामाजिक विज्ञान के शिक्षक अंग्रेजी एवं गणित पढ़ा रहे हैं। पहले से शिक्षकों की कमी से परेशान प्रदेश के माध्यमिक विद्यालयों में 31 मार्च के बाद तो हिन्दी, सामाजिक विज्ञान जैसे अनिवार्य विषयों के शिक्षकों के रिटायर होने के बाद अधिक बढ़ गई है।

ग्रीष्मावकाश के बाद स्कूलों को खुल गए हैं, स्कूलों के खुलने के बाद पढ़ाई-लिखाई पटरी पर नहीं आ सकी है। स्कूलों में शिक्षकों की अरसे से भर्ती नहीं होने के कारण कई विषयों की पढ़ाई शुरू नहीं हो सकी है। इसमें सबसे अधिक परेशानी गणित, अंग्रेजी और विज्ञान जैसे प्रमुख विषयों को लेकर है।

प्रदेश में सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षकों के  चयन की जिम्मेदारी उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड के जिम्मे है। चयन बोर्ड की ओर से 2011 में विज्ञापित टीजीटी एवं पीजीटी के पदों के लिए अभी तक लिखित परीक्षा के बाद अभी तक रिजल्ट घोषित नहीं किया जा सका है। चयन बोर्ड ने 2013-14 में टीजीटी-पीजीटी के लगभग सात हजार पदों पर भर्ती की घोषणा करके जनवरी-फरवरी 2015 में परीक्षा तो करवा ली, परंतु अभी तक इसका रिजल्ट घोषित नहीं हो सका है।

इतने पदों के खाली होने के बाद प्रदेश भर में माध्यमिक विद्यालयों में सरकार की ओर से शिक्षकों की भर्ती को लेकर सन्नाटा पसरा है। यही हाल राजकीय इंटर कॉलेज एवं राजकीय बालिका इंटर कॉलेजों में भी प्रमुख विषयों गणित, विज्ञान एवं अंग्रेजी के शिक्षकों की कमी बनी है। प्रधानाचार्य परिषद के प्रदेश अध्यक्ष ब्रजेश शर्मा का कहना है कि सरकार की ओर से माध्यमिक शिक्षा को एकदम से किनारे कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि लगभग सभी स्कूलों में गणित, अंग्रेजी, विज्ञान जैसे प्रमुख विषयों में शिक्षकों के पद खाली हैं। इस कारण से अभी तक पढ़ाई-लिखाई पटरी पर नहीं आ सकी है।

Wednesday, 6 July 2016

परीक्षा परिणाम ने दावेदारी से रोका

Ragini Srivastav     18:26:00  No comments

परीक्षा परिणाम ने दावेदारी से रोका

राज्य ब्यूरो, इलाहाबाद : बीटीसी ही नहीं बीएड के रिजल्ट ने भी युवाओं को शिक्षक बनने से रोक दिया है। प

राज्य ब्यूरो, इलाहाबाद : बीटीसी ही नहीं बीएड के रिजल्ट ने भी युवाओं को शिक्षक बनने से रोक दिया है। प्रदेश भर के करीब 50 हजार युवाओं का रिजल्ट अटका है इससे वह अशासकीय माध्यमिक विद्यालयों में स्नातक शिक्षक एवं प्रवक्ता बनने के लिए दावेदारी तक नहीं कर पा रहे हैं। युवाओं ने बीएड का परिणाम जल्द घोषित कराने की मांग की है।

बीएड सत्र 2013-14 की परीक्षा दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय ने कराई थी। इसके लिए पहले एवं दूसरे चरण की काउंसिलिंग भी कराई गई। उस दौरान बड़ी संख्या में काउंसिलिंग में पहुंचे अभ्यर्थियों को प्रशिक्षण के लिए कालेज का आवंटन नहीं हो सका था। यह प्रकरण तूल पकड़ने पर शासन ने निर्देश दिया कि जिन कालेजों में सीटें रिक्त हैं वहां जाकर अभ्यर्थी दाखिला ले सकते हैं। ऐसे में युवाओं ने मनचाहे कालेजों में प्रवेश पा लिया। बाद में विश्वविद्यालय ने बिना काउंसिलिंग वाले अभ्यर्थियों की परीक्षा कराने से मना कर दिया। युवाओं ने इस मामले को हाईकोर्ट में चुनौती दी और तब परीक्षा कराई गई। अभ्यर्थी बताते हैं कि आगरा विश्वविद्यालय में सबसे बाद में जुलाई 2015 में परीक्षा कराई गई। बाकी विश्वविद्यालयों में पहले ही इम्तिहान हो चुके थे। उन सभी का रिजल्ट आज तक जारी नहीं हुआ है। इसमें करीब 50 हजार युवा परेशान हैं वह अब शिक्षक बनने के लिए कहीं भी दावेदारी नहीं कर पा रहे हैं। इन दिनों माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड में टीजीटी-पीजीटी 2016 के लिए आवेदन लिए जा रहे हैं, लेकिन बीएड के रिजल्ट ने बड़ी संख्या में युवाओं का रास्ता रोक दिया गया है। वह परीक्षा परिणाम जारी कराने के लिए आंदोलन की राह चलने की तैयारी कर रहे हैं

समायोजन के लिए भटक रहे छह सौ चयनित शिक्षक

Ragini Srivastav     18:10:00  No comments

समायोजन के लिए भटक रहे छह सौ चयनित शिक्षक

 उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड की ओर से 10 वर्ष पूर्व चयनित शिक्षकों का समायोजन नहीं होने से वह दोराहे पर खड़े हैं। 2006 से लेकर 2010 तक चयन बोर्ड से लिखित परीक्षा एवं साक्षात्कार के आधार पर चुने गए छह सौ से अधिक चयनित शिक्षकों को चयन के बाद भी ज्वाइनिंग नहीं मिल सकी है। चयन बोर्ड की ओर से टीजीटी-पीजीटी के पदों पर चुने गए यह शिक्षक प्रदेश सरकार के अनिर्णय के शिकार हैं। चयन बोर्ड की ओर से नियुक्ति नियमावली में संशोधन के लिए अनुरोध पत्र तीन वर्ष पूर्व सरकार के पास भेजा गया था। सरकार की ओर से चयन बोर्ड नियमावली में संशोधन नहीं किए जाने से चयनित शिक्षक आर्थिक तंगी के शिकार हैं।

उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड से चयनित होने के बाद शिक्षकों को आवंटित विद्यालय प्रबंधन की ओर से ज्वाइन नहीं कराने पर यह शिक्षक चयन बोर्ड, संबंधित जिला विद्यालय निरीक्षक एवं चयन बोर्ड के बीच बीते छह वर्ष से अधिक समय से चक्कर लगा रहे हैं। चयन बोर्ड से नियुक्ति पत्र लेकर जब यह अभ्यर्थी संबंधित विद्यालय पहुंचे तो प्रबंधन ने पद खाली नहीं होने, प्रमोशन से पद भरे होने की बात कहकर उन्हें लौटा दिया। हाईकोर्ट की ओर से चयनित शिक्षकों के मनमाने समायोजन पर आदेश दिया था कि इन शिक्षकों का चयन जिस विज्ञापन और पद के सापेक्ष हुआ है, उसी पर उनका समायोजन किया जाए।

कोर्ट के इस निर्णय के बाद सरकार ने आश्वासन दिया था कि विधान सभा में प्रस्ताव लाकर नियमों में संशोधन करेगी। आश्वासन के तीन वर्ष बाद भी कोई निर्णय नहीं हो सका है। सरकार की ओर से टीजीटी-पीजीटी शिक्षक नियमावली में संशोधन किए बिना चयनित शिक्षकों को नियुक्ति मिलना संभव नहीं है। अपनी नियुक्ति की मांग को लेकर उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड पर यह चयनित शिक्षक कई बार आंदोलन एवं धरना प्रदर्शन कर चुके हैं। चयन बोर्ड के अधिकारियों का इस बारे में कहना है कि बिना शासन की अनुमति के इन शिक्षकों को नियुक्ति मिलना संभव नहीं है।

शिक्षक भर्ती के लिए दो अलग-अलग मानक

Ragini Srivastav     17:33:00  No comments

शिक्षक भर्ती के लिए दो अलग-अलग मानक



प्रदेश के राजकीय इंटर कॉलेजों (जीआईसी) एवं अशासकीय माध्यमिक विद्यालयों में खाली प्रशिक्षित स्नातक शिक्षकों की भर्ती के लिए माध्यमिक शिक्षा विभाग दो अलग-अलग मानक अपना रहा है। जीआईसी में शिक्षकों का चयन सीधी भर्ती के जरिए होता है, जबकि सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षकों का भर्ती चयन लिखित परीक्षा, साक्षात्कार के साथ शैक्षिक अंकों को भी शामिल करके किया जाता है। एक ही पद के लिए दो अलग-अलग भर्ती प्रक्रिया अपनाए जाने से बीएड बेरोजगारों में नाराजगी है। अभ्यर्थी इसके खिलाफ कोर्ट जाने की बात कर रहे हैं। इन दोनों पदों के लिए शासन की ओर से एक ही शैक्षिक अर्हता निर्धारित है। सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में इन दिनों टीजीटी-पीजीटी के पदों पर भर्ती के लिए आवेदन की प्रक्रिया चल रही है। इन पदों केलिए चयन बोर्ड लिखित परीक्षा, शैक्षिक अंक के वेटेज के साथ साक्षात्कार के आधार पर चयन करती है।

प्रदेश के माध्यमिक शिक्षा विभाग की ओर से राजकीय इंटर कॉलेजों (बालक, बालिका) में प्रशिक्षित स्नातक श्रेणी (एलटी ग्रेड) पद पर इन दिनों भर्ती प्रक्रिया लंबित चल रही है। इनके लिए शैक्षिक योग्यता संबंधित विषय में स्नातक के साथ बीएड रखा गया था। प्रदेश के सभी मंडलों के संयुक्त शिक्षा निदेशकों की ओर से जीआईसी के लिए शैक्षिक मेरिट के आधार पर भर्ती की गई। इस भर्ती में मेरिट में हेराफेरी के कारण कई मंडलों में शिक्षकों ने चयन होने के बाद भी पद पर ज्वाइन नहीं किया। इस प्रकार के मामले पूरे प्रदेश में आ रहे हैं, इलाहाबाद एवं लखनऊ मंडल में सबसे अधिक गड़बड़ी सामने आई है।

बीएड बेरोजगारों का कहना है कि प्रदेश के सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षकों की भर्ती प्रदेश सरकार की ओर लिखित परीक्षा, साक्षात्कार एवं शैक्षिक अंकों के वेटेज को जोड़कर की जाती है। इसके विपरीत राजकीय इंटर कॉलेजों में शिक्षकों का चयन मात्र शैक्षिक अंकों की मेरिट के आधार पर किया जा रहा है। राजकीय इंटर कॉलेज एवं सहायता प्राप्त माध्यमिक शिक्षकों का पदनाम एक होने, शैक्षिक अर्हता एक होने के बाद चयन का मानक अलग-अलग रखा गया है।  बीएड बेरोजगारों का कहना है कि जीआईसी में नियुक्त होने वाले शिक्षक पदोन्नति के जरिए शिक्षा विभाग में अधिकारी के पद तक पहुंच जाते हैं, जबकि सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में नियुक्त होने वाला शिक्षक उसी पद से रिटायर हो जाता है।

Tuesday, 5 July 2016

वेबसाइट पर टेट का ब्योरा नहीं हाथ से गई नौकरी

Ragini Srivastav     19:50:00  No comments

मिड-डे मील कनवर्जन कॉस्ट में सात फीसदी की वृद्धि

Ragini Srivastav     16:36:00  No comments

मिड-डे मील कनवर्जन कॉस्ट में सात फीसदी की वृद्धि

मानव संसाधन मंत्रालय भारत सरकार की ओर से मिड-डे मील की कनवर्जन कॉस्ट में महज सात फीसदी की बढ़ोतरी की गई है। देश एवं प्रदेश के प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों के बच्चों को स्कूल में मिलने वाले मिड-डे मील की लागत में लगातार हो रही बढ़ोतरी को देखते हुए यह वृद्धि की गई है। सरकार की ओर से मिड-डे मील की कीमत में मात्र 54 पैसे की बढ़ोतरी बच्चों को पोषक भोजन देने की मंशा पर सवालिया निशान लगा रही है। ‘अमर उजाला’ की ओर से 30 जून को साढ़े तीन रुपये में मिड-डे मील में कैसे मिलेगा फल शीर्षक से खबर प्रकाशित की गई थी। इस खबर के प्रकाशन के दूसरे दिन केंद्र सरकार की ओर से मिड-डे मील कनवर्जन कॉस्ट में मात्र 54 पैसे की बढ़ोतरी की गई है।

आठवीं कक्षा तक के बच्चों को पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराने के लिए प्रदेश एवं केंद्र सरकार समय-समय पर मिड-डे मील के मेन्यू में बदलाव करती रहती हैं। प्रदेश सरकार की ओर से जुलाई में बच्चों को सोमवार को मिड-डे मील के साथ एक मौसमी फल देने की घोषणा की गई थी। तय कनवर्जन कॉस्ट में फल वितरण की सूचना के बाद अमर उजाला ने अपने 30 जून के अंक में खबर प्रकाशित की थी कि आखिर इतनी मंहगाई के बीच पुरानी कनवर्जन कॉस्ट पर कैसे फल वितरित किया जाएगा। इस खबर केप्रकाशन के बाद केंद्र सरकार ने प्राथमिक के लिए 4.13 रूपए एवं उच्च प्राथमिक के लिए 6.16 रूपए  कनवर्जन कॉस्ट किया गया है।

सरकार की ओर से कनवर्जन मनी में मात्र सात फीसदी की वृद्धि बच्चों को कैसे पौष्टिक भोजन देने की हवा निकाल रहा है। दाल, सोयाबीन और हरी सब्जी के बदले बच्चों को मात्र दाल का घोल और खिचड़ी देकर काम चलाया जा रहा है। सरकार की ओर से एक बच्चे के लिए मात्र 4.13 रुपये कनवर्जन मनी तय की गई है। इसी पैसे से ग्राम प्रधान और प्रधानाध्यापक को दाल, सब्जी, नमक, मशाला, तेल-घी, दूध, मेवे आदि की व्यवस्था करनी होगी। मिड डे मील के लिए खाद्य सामग्री चावल, गेहूं की व्यवस्था प्रदेश सरकार खाद्य एवं रसद विभाग करता है। खाना पकाने के लिए लकड़ी अथवा गैस सिलेंडर तथा रसोइये की व्यवस्था भी 4.13 रुपये कनवर्नन मनी से ही करना होगा।

भाषा शिक्षकों की भर्ती नहीं, दोबारा पास करनी होगी टीईटी

Ragini Srivastav     16:31:00  No comments

भाषा शिक्षकों की भर्ती नहीं, दोबारा पास करनी होगी टीईटी

टेट

प्रदेश की सपा सरकार परिषदीय विद्यालयों में उर्दू शिक्षकों की नियुक्ति करने के लिए अपने चार वर्ष के कार्यकाल में दो बार भर्ती कर चुकी है। वहीं 2011 में उच्च प्राथमिक विद्यालयों के लिए टीईटी पास करने वाले संस्कृत, हिंदी एवं अंग्रेजी भाषा शिक्षकों के लिए वर्तमान सरकार ने अपने पूरे कार्यकाल में कोई पद घोषित नहीं किए हैं। सरकार की उदासीनता के कारण 2011 में जूनियर भाषा टीईटी पास करने वाले 50 हजार से अधिक अभ्यर्थी बिना किसी भर्ती में आवेदन के अपनी अर्हता खो देंगे। परीक्षा पास करने की अवधि पांच वर्ष पूरी होने के बाद इन अभ्यर्थियों की टीईटी अर्हता खत्म हो जाएगी। उन्हें किसी भर्ती प्रक्रिया में शामिल होने के लिए दोबारा टीईटी पास करना होगा।

भाषा टीईटी पास करने वाले अभ्यर्थियों ने प्रदेश सरकार की ओर से प्राथमिक विद्यालयों में उर्दू की पढ़ाई नहीं होने के बाद भी बार-बार उर्दू शिक्षकों की भर्ती करने की नीति पर सवाल खड़ा किया है। भाषा टीईटी धारकों का कहना है कि कुछ परिषदीय विद्यालयों में ही उर्दू पढ़ने वाले बच्चे प्रवेश लेते हैं, जबकि हिंदी, संस्कृत एवं अंग्रेजी पढ़ने वाले बच्चे हर स्कूल में हैं। इन अभ्यर्थियों का कहना है कि उर्दू शिक्षक के नाम पर भर्ती होने वालों से सामान्य विषय पढ़ाने को कहा जा रहा है। उन्हें उर्दू पढ़ने वाले बच्चे नहीं मिल रहे हैं।

भाषा टीईटी धारकों का कहना है कि प्रदेश सरकार मात्र वोट के चक्कर में युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है। सरकार की तुष्टीकरण की नीतियों के कारण पांच वर्ष तक कोई भर्ती नहीं घोषित होने के कारण उनकी टीईटी की वैधता की अवधि खत्म हो जा रही है। इन अभ्यर्थियों का कहना है कि प्रदेश सरकार एक ओर जहां उर्दू शिक्षकों की लगातार भर्ती कर रही है, वहीं संस्कृत, अंग्रेजी एवं हिंदी जैसे विषयों में भाषा शिक्षकों की भर्ती नहीं हो रही है। प्रदेश में नई सरकार के गठन के बाद संस्कृत की लगातार उपेक्षा हो रही है।

प्रदेश के उच्च प्राथमिक विद्यालयों में सरकार की ओर से संस्कृत, हिंदी, अंग्रेजी शिक्षकों की भर्ती होने से स्कूलों में इन विषयों को पढ़ाने वाले शिक्षक नहीं हैं। जूनियर स्तर पर हिंदी और अंग्रेजी जैसे विषयों की पढ़ाई सामाजिक विज्ञान के शिक्षक कर रहे हैं। ठीक ऐसी ही स्थिति संस्कृत के साथ है। स्कूलों में संस्कृत विषय नहीं पढ़ाए जाने से अभिभावक परिषदीय विद्यालयों में अपने बच्चों को प्रवेश देने से कतरा रहे हैं।

यूपी सरकार जल्द ही देगी कर्मचारियों को सातवें वेतन आयोग की सौगात

Ragini Srivastav     16:19:00  No comments

यूपी सरकार जल्द ही देगी कर्मचारियों को सातवें वेतन आयोग की सौगात

केंद्र सरकार द्वारा सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को मंजूरी देने के बाद प्रदेश सरकार भी अपने कर्मचारियों के लिए इसे लागू करने में जुट गई है।

सूबे के वित्त महकमे ने इस बाबत सातवें वेतन समिति के गठन के लिए प्रस्ताव तैयार कर कैबिनेट से मंजूरी लेने की कार्रवाई शुरू कर दी है। कैबिनेट की अगली बैठक में इस बारे में फैसला हो सकता है।

शासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सातवें वेतन आयोग की संस्तुतियों पर केंद्र के निर्णय के मद्देनजर प्रदेश सरकार को तीन फैसले करने हैं।

पहला, आयोग की जिन संस्तुतियों को केंद्र ने स्वीकार किया है, सहमत होने की दशा में उसे स्वीकार किया जाए। दूसरा, संस्तुतियों को प्रदेश के परिप्रेक्ष्य में लागू करने के लिए सातवें वेतन समिति का गठन करने की मंजूरी दी जाए।

तीसरा, वेतन समिति के अध्यक्ष व सदस्यों का चयन किया जाए। अधिकारी के मुताबिक वित्त विभाग ने इस संबंध में कैबिनेट नोट तैयार कर विभिन्न विभागों से परामर्श लेने का काम शुरू कर दिया है।

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