विज्ञान-गणित के शिक्षक नहीं, माध्यमिक स्कूलों मे पढ़ाई ठप
प्रदेश के राजकीय एवं सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में विज्ञान-गणित एवं अंग्रेजी के शिक्षकों के पदों पर पिछले छह वर्ष से नियुक्ति एवं चयन प्रक्रिया ठप पड़ी होने से पढ़ाई ठप पड़ गई है। प्रदेश के अधिकांश स्कूलों में हिन्दी एवं सामाजिक विज्ञान के शिक्षक अंग्रेजी एवं गणित पढ़ा रहे हैं। पहले से शिक्षकों की कमी से परेशान प्रदेश के माध्यमिक विद्यालयों में 31 मार्च के बाद तो हिन्दी, सामाजिक विज्ञान जैसे अनिवार्य विषयों के शिक्षकों के रिटायर होने के बाद अधिक बढ़ गई है।
ग्रीष्मावकाश के बाद स्कूलों को खुल गए हैं, स्कूलों के खुलने के बाद पढ़ाई-लिखाई पटरी पर नहीं आ सकी है। स्कूलों में शिक्षकों की अरसे से भर्ती नहीं होने के कारण कई विषयों की पढ़ाई शुरू नहीं हो सकी है। इसमें सबसे अधिक परेशानी गणित, अंग्रेजी और विज्ञान जैसे प्रमुख विषयों को लेकर है।
प्रदेश में सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षकों के चयन की जिम्मेदारी उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड के जिम्मे है। चयन बोर्ड की ओर से 2011 में विज्ञापित टीजीटी एवं पीजीटी के पदों के लिए अभी तक लिखित परीक्षा के बाद अभी तक रिजल्ट घोषित नहीं किया जा सका है। चयन बोर्ड ने 2013-14 में टीजीटी-पीजीटी के लगभग सात हजार पदों पर भर्ती की घोषणा करके जनवरी-फरवरी 2015 में परीक्षा तो करवा ली, परंतु अभी तक इसका रिजल्ट घोषित नहीं हो सका है।
इतने पदों के खाली होने के बाद प्रदेश भर में माध्यमिक विद्यालयों में सरकार की ओर से शिक्षकों की भर्ती को लेकर सन्नाटा पसरा है। यही हाल राजकीय इंटर कॉलेज एवं राजकीय बालिका इंटर कॉलेजों में भी प्रमुख विषयों गणित, विज्ञान एवं अंग्रेजी के शिक्षकों की कमी बनी है। प्रधानाचार्य परिषद के प्रदेश अध्यक्ष ब्रजेश शर्मा का कहना है कि सरकार की ओर से माध्यमिक शिक्षा को एकदम से किनारे कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि लगभग सभी स्कूलों में गणित, अंग्रेजी, विज्ञान जैसे प्रमुख विषयों में शिक्षकों के पद खाली हैं। इस कारण से अभी तक पढ़ाई-लिखाई पटरी पर नहीं आ सकी है।
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