समायोजन के लिए भटक रहे छह सौ चयनित शिक्षक
उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड की ओर से 10 वर्ष पूर्व चयनित शिक्षकों का समायोजन नहीं होने से वह दोराहे पर खड़े हैं। 2006 से लेकर 2010 तक चयन बोर्ड से लिखित परीक्षा एवं साक्षात्कार के आधार पर चुने गए छह सौ से अधिक चयनित शिक्षकों को चयन के बाद भी ज्वाइनिंग नहीं मिल सकी है। चयन बोर्ड की ओर से टीजीटी-पीजीटी के पदों पर चुने गए यह शिक्षक प्रदेश सरकार के अनिर्णय के शिकार हैं। चयन बोर्ड की ओर से नियुक्ति नियमावली में संशोधन के लिए अनुरोध पत्र तीन वर्ष पूर्व सरकार के पास भेजा गया था। सरकार की ओर से चयन बोर्ड नियमावली में संशोधन नहीं किए जाने से चयनित शिक्षक आर्थिक तंगी के शिकार हैं।
उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड से चयनित होने के बाद शिक्षकों को आवंटित विद्यालय प्रबंधन की ओर से ज्वाइन नहीं कराने पर यह शिक्षक चयन बोर्ड, संबंधित जिला विद्यालय निरीक्षक एवं चयन बोर्ड के बीच बीते छह वर्ष से अधिक समय से चक्कर लगा रहे हैं। चयन बोर्ड से नियुक्ति पत्र लेकर जब यह अभ्यर्थी संबंधित विद्यालय पहुंचे तो प्रबंधन ने पद खाली नहीं होने, प्रमोशन से पद भरे होने की बात कहकर उन्हें लौटा दिया। हाईकोर्ट की ओर से चयनित शिक्षकों के मनमाने समायोजन पर आदेश दिया था कि इन शिक्षकों का चयन जिस विज्ञापन और पद के सापेक्ष हुआ है, उसी पर उनका समायोजन किया जाए।
कोर्ट के इस निर्णय के बाद सरकार ने आश्वासन दिया था कि विधान सभा में प्रस्ताव लाकर नियमों में संशोधन करेगी। आश्वासन के तीन वर्ष बाद भी कोई निर्णय नहीं हो सका है। सरकार की ओर से टीजीटी-पीजीटी शिक्षक नियमावली में संशोधन किए बिना चयनित शिक्षकों को नियुक्ति मिलना संभव नहीं है। अपनी नियुक्ति की मांग को लेकर उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड पर यह चयनित शिक्षक कई बार आंदोलन एवं धरना प्रदर्शन कर चुके हैं। चयन बोर्ड के अधिकारियों का इस बारे में कहना है कि बिना शासन की अनुमति के इन शिक्षकों को नियुक्ति मिलना संभव नहीं है।
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