Facebook Twitter Google RSS

Monday, 6 June 2016

गुरु का उपहास नहीं !!!!!!

Ragini Srivastav     04:00:00  No comments

गुरु का उपहास नहीं !!!!!!!

कवि इकबाल को अरबी, फारसी का विद्वान बनाने का श्रेय उनके गुरु मौलवी मीरहसन को था। इकबाल में शायरी के प्रति रुचि जागृत करने वाले भी यही मौलवी साहब थे। अतः अपने गुरु के प्रति इकबाल जीवन भर श्रद्धा व्यक्त करते रहे।

एकबार अंग्रेजी सरकार ने प्रसन्न होकर इकबाल को ‘सर’ की उपाधि से सम्मानित किया। इकबाल ने वह उपाधि लेने से इन्कार करते हुए कहा- ‘जब तक मेरे गुरु का सम्मान नहीं किया जाता जब तक मैं किसी भी उपाधि को ग्रहण काने का अधिकारी नहीं हूँ क्योंकि आज की स्थिति तक पहुँचाने वाले तो मेरे गुरु ही हैं।

इकबाल की शर्त मंजूर कर ली गई। पहले उनके उस्ताद मीरहसन को ‘शम्म-उल-उलेमा’ का खिताब दिया गया और बाद को इकबाल ने उपाधि ग्रहण की।

आज जब शिष्यों द्वारा गुरुओं का घेराव किया जा रहा हो और उनकी बात को उपहास के रूप में माना जा रहा हो तो उस समय यह घटना प्रकाश की एक किरण के समान दोनों को ही अपने सम्बन्ध सुधारने के लिए प्रेरणा प्रदान कर रही है।

,

Related Posts

Ragini Srivastav


Lorem ipsum dolor sit amet, consectetuer adipiscing elit. Ut odio. Nam sed est. Nam a risus et est iaculis adipiscing. Vestibulum ante ipsum faucibus luctus et ultrices.
View all posts by Naveed →

0 comments :

Find Any Product and Win Prizes

>

Recent news

recent

About Us

Contact

Contact

Name

Email *

Message *