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Monday, 4 July 2016

बढ़ाएगा बोझ, पहले ही 56 हजार करोड़ हो रहा है खर्च

Ragini Srivastav     18:08:00  No comments

बढ़ाएगा बोझ, पहले ही 56 हजार करोड़ हो रहा है खर्च

वेतन आयोगों की सिफारिशें और उनको लेकर कर्मचारियों की शिकायतों के अपने तर्क हैं। पर, सूबे की राजकोषीय व्यवस्था का आकलन करें तो सरकार के कुल खर्च का एक तिहाई से ज्यादा हिस्सा कर्मचारियों के वेतन, भत्ते और पेंशन में ही खप जाता है। यह हिस्सेदारी दिनोंदिन बढ़ती ही जा रही है।

ऐसा तब है जब सरकारी महकमों में बड़े पैमाने पर पद खाली हैं। सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को यदि प्रदेश सरकार लागू करे तो सालाना 23 हजार करोड़ रुपये का बोझ बढ़ने की संभावना है।

प्रदेश में 21 लाख से ज्यादा कर्मचारी और पेंशनर हैं। इनमें शिक्षक व सहायता प्राप्त संस्थाओं के कर्मी भी शामिल हैं। वित्त वर्ष 2016-17 के बजट प्रस्तावों को देखें तो सूबे की कमाई की तुलना में खर्च दोगुना तक पहुंच गया है।

वर्तमान में वेतन, पेंशन और भत्ते पर कुल राजस्व खर्च का करीब 34.1 फीसदी खर्च हो रहा है। इसमें सरकारी कर्मचारियों के वेतन व भत्तों पर कुल राजस्व खर्च का 13.1 फीसदी तथा सहायता प्राप्त संस्थाओं के वेतन-भत्ते पर 13 फीसदी खर्च होने का आकलन किया गया है। पेंशन में कुल खर्च का 8.3 फीसदी जाता है।

Ragini Srivastav


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