संगम नगरी को मिला एक और विश्वविद्यालय
शिक्षा के केंद्र संगम नगरी को शुक्रवार को एक और विश्वविद्यालय मिल गया। इलाहाबाद राज्य विश्वविद्यालय के रूप में शहर के पांचवें यूनिवर्सिटी के प्रशासनिक भवन का उद्घाटन सांसद रेवती रमण सिंह ने किया। विश्वविद्यालय में विज्ञान, कला, वाणिज्य के अलावा मेडिकल, इंजीनियरिंग, एग्रीकल्चर आदि विषयों की पढ़ाई होगी। हालांकि, आगामी सत्र में कुछ चुनिंदा विषयों में ही दाखिला लिए जाएंगे। सभी कोर्सेज तीन चरणों में शुरू हो पाएंगे। प्रथम कुलपति प्रोफेसर राजेंद्र प्रसाद ने इसे विश्वस्तरीय विश्वविद्यालय बनाने का संकल्प लेने के साथ इसका खाका भी प्रस्तुत किया।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय को केंद्रीय दर्जा मिलने के बाद से ही शहर में राज्य विश्वविद्यालय की मांग की जा रही थी, जो अब पूरी हो गई। विश्वविद्यालय नैनी में 125 एकड़ में बनेगा। इस पर कुल दो अरब रुपये खर्च होने हैं। 50 करोड़ रुपये मिल भी चुके हैं। विश्वविद्यालय परिसर के निर्माण तक इसका संचालन सिविल लाइंस स्थित सीपीआई भवन में होगा। शुक्रवार को प्रशासनिक भवन के उद्घाटन के साथ इसका काम शुरू हो गया। इस विश्वविद्यालय से इलाहाबाद के अलावा मंडल के प्रतापगढ़, कौशाम्बी और फतेहपुर के सभी 462 महाविद्यालय संबद्ध किए गए हैं। मुख्य अतिथि सांसद रेवती रमण सिंह ने विश्वविद्यालय के स्थापना के मकसद पर प्रकाश डाला। साथ में उम्मीद जताई कि इस विश्वविद्यालय की पहचान पूरे विश्व में होगी।
सांसद ने कहा कि विश्वविद्यालय का मकसद सिर्फ डिग्री बांटना नहीं होना चाहिए। हुनरमंद और योग्य युवा तैयार करना भी है। उम्मीद जताई कि यह विश्वविद्यालय इस उद्देश्य को पूरा करने में सफल होगा। विशिष्ट अतिथि मंडलायुक्त राजन शुक्ला ने कहा कि यह ऐतिहासिक दिन है। इलाहाबाद को एक बार फिर शैक्षणिक गढ़ के रूप में स्थापित करने की यह शुरुआत है। कुलपति प्रोफेसर राजेंद्र प्रसाद ने विश्वविद्यालय के बारे में बताया। साथ ही सभी को भरोसा दिलाया कि इस विश्वविद्यालय की ख्याति पूरे विश्व में होगी। उद्घाटन कार्यक्रम को एमएलसी बासुदेव यादव, सपा नेता लल्लन राय, विधायक गामा पांडेय, कृष्णमूर्ति सिंह यादव, धर्मराज सिंह पटेल, इफ्तेखार हुसैन, रामनरेश त्रिपाठी आदि ने संबोधित किया। संचालन डॉ. भारती दास ने किया।
संगम नगरी भारत के पांच विश्वविद्यालयों वाले कुछ चुनिंदा शहरों में शामिल हो गई है। यहां इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय, उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय, शियाट्स और नेहरू ग्राम भारती विश्वविद्यालय चार यूनिवर्सिटी पहले से हैं। इस तरह से इलाहाबाद राज्य विश्वविद्यालय के रूप में शहर में पांचवें यूनिवर्सिटी की स्थापना हुई। इनके अलावा शहर में मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एमएनएनआईटी), भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (ट्रिपलआईटी), मोतीलाल नेहरू मेडिकल कालेज भी है। दो तकनीकी संस्थानों को भी डीम्ड यूनिवर्सिटी का दर्जा प्राप्त है। हरीश्चंद्र शोध संस्थान, राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी, विज्ञान परिषद आदि कई अन्य संस्थान हैं, जिनकी पूरे देश में विशेष पहचान है। इतना ही नहीं शहर में उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग, उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग, कर्मचारी चयन आयोग का क्षेत्रीय कार्यालय, माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड, रेलवे भर्ती बोर्ड समेत कई भर्ती संस्थाएं भी हैं। इनके अलावा उच्च, माध्यमिक और बेसिक शिक्षा निदेशालय के साथ सीबीएसई का क्षेत्रीय कार्यालय भी है।
इलाहाबाद राज्य विश्वविद्यालय के विशेष कार्याधिकारी रहे प्रोफेसर राजेंद्र प्रसाद को पहला कुलपति बनाया गया है। विश्वविद्यालय की स्थापना के साथ ही शुक्रवार को इन्हें कुलपति बनाए जाने की घोषणा कर दी गई। इसका आदेश भी विश्वविद्यालय को मिल गया है। उनकी नियुक्ति तीन साल के लिए हुई है। हालांकि नए प्रावधान के अंतर्गत उनका कार्यकाल दो साल और बढ़ाए जाने की उम्मीद है। डॉ.राजेंद्र प्रसाद गोरखपुर विश्वविद्यालय में रक्षा अध्ययन विभाग में प्रोफेसर हैं। वहां वह कुलपति भी रहे। इसके अलावा अलग-अलग विश्वविद्यालयों में वह डीन साइंस, रजिस्ट्रार, वित्त अधिकारी, चीफ प्रॉक्टर आदि पदों पर भी रह चुके हैं। प्रोफेसर प्रसाद ने मात्र 21 साल की उम्र में शिक्षण कार्य शुरू किया था। उनकी पहली नियुक्ति आगरा के राजा बलवंत सिंह डिग्री कालेज में हुई थी।
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