चयन बोर्ड के दो सदस्यों के काम करने पर रोक
हाईकोर्ट ने माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड के दो सदस्यों अनीता यादव और ललित श्रीवास्तव के काम करने पर एक बार फिर रोक लगा दी है। गत वर्ष जुलाई में भी हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका पर अंतरिम आदेश के द्वारा इन दोनों के काम करने पर रोक लगाई थी, मगर बाद में वह याचिका वापस हो जाने से अंतरिम आदेश समाप्त हो गया था। प्रतियोग छात्र मोर्चा के अवनीश कुमार पांडेय ने जनहित याचिका दाखिल कर दोनों सदस्यों के चयन और नियुक्ति को चुनौती दी है। न्यायमूर्ति अरुण टंडन और न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल की खंडपीठ ने याचिका पर सुनवाई करते हुए अगले आदेश तक दोनों के आयोग के सदस्य के रूप में काम करने पर रोक लगा दी है।
कोर्ट ने प्रदेश सरकार और चयन बोर्ड से इस मामले में जवाब मांगा है। याची के अधिवक्ता आलोक मिश्र ने कहा कि दोनों सदस्यों का चयन राजनीतिक प्रभाव की वजह से किया गया है, जबकि यह लोग आयोग का सदस्य होने की योग्यता नहीं रखते हैं। दोनों एलटी ग्रेड के टीचर हैं। इनका चयन करते समय किसी भी प्रकार के नियम का पालन नहीं किया गया। सरकार ने न तो कोई विज्ञापन दिया और न ही अन्य विकल्पों पर विचार किया। अन्य योग्य लोगों के नाम पर विचार नहीं किया गया। याचिका में दोनों सदस्यों को काम करने से रोकने तथा उनका चयन रद्द करने हेतु समादेश जारी करने की मांग की गई है। प्रदेश सरकार की ओर से आपत्ति की गई कि इसी मामले पर एक और जनहित याचिका लखनऊ खंडपीठ में भी लंबित है। कोर्ट ने उक्त याचिका भी मंगवा ली है। अगली तारीख पर दोनों याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई होगी।
उल्लेखनीय है कि छह जुलाई 2015 को अभिलाषा मिश्रा की याचिका पर हाईकोर्ट ने अनीता यादव, ललित श्रीवास्तव और आशालता सिंह के काम करने पर रोक लगा दी थी। बाद में अभिलाषा मिश्रा ने अपनी याचिका वापस कर ली। इससे अंतरिम आदेश भी समाप्त हो गया और ललित श्रीवास्तव तथा अनीत यादव वापस अपने पद पर आ गए जबकि आशालता सिंह का कार्यकाल समाप्त हो गया। इस दौरान लखनऊ खंडपीठ में मोतीलाल यादव ने इसी मामले पर एक जनहित याचिका दाखिल कर दी। प्रदेश सरकार के अधिवक्ता ने दलील दी कि चूंकि यही प्रकरण लखनऊ खंडपीठ में लंबित है इसलिए यहां याचिका पोषणीय नहीं है। कोर्ट ने लखनऊ पीठ में लंबित याचिका भी इसी याचिका के साथ संबद्ध करते हुए दोनों याचिकाओं पर 18 जुलाई को सुनवाई करने का आदेश दिया है|
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