राष्ट्रीय शिक्षा नीतिः किताबी ज्ञान के साथ महिलाओं की इज्जत करना भी पढ़ाएं
स्कूली शिक्षा में किताबी ज्ञान, तकनीक की पढ़ाई करवाने के साथ महिलाओं की इज्जत करने का पाठ भी पाठ्यक्रम में शामिल करें। संयुक्त परिवारों की बजाय अब छोटे परिवार का चलन है, ऐसे में दादी-नानी के नैतिक मूल्य कहीं खो गए हैं। स्कू
ल में अधिक समय बीताने के चलते शिक्षक बच्चों के रोल मॉडल होते हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में सुब्रह्मण्यम समिति ने किताबी ज्ञान के पाठ्यक्रम में नैतिक मूल्यों को भी पढ़ाने की सिफारिश की है।
समिति सदस्यों का कहना है कि भारत में हर धर्म, संप्रदाय, जाति व भाषा के लोग बसते हैं। ऐसे में वेल्यू एजुकेशन की सबसे अधिक जरूरत है। रिपोर्ट में वैल्यू एजुकेशन को आज के समाज की सबसे बड़ी जरूरत कहकर संबोधित किया है।
इसमें कहा गया है कि स्कूली छात्रों को सत्य, अहिंसा, शांति, प्रेम व भाईचारे से रहने का पाठ पढ़ाना होगा। शिक्षकों की ट्रेनिंग में नैतिक मूल्यों को शामिल करना होगा। शिक्षक महिलाओं की इज्जत करने का पाठ पढ़ाने के साथ उनके सामने उदाहरण भी पेश करें। इसके अलावा उनके अधिकारों के साथ देश के प्रति कर्तव्यों को भी समझाएं।
स्कूल छोड़ा तो फिर पहले दें प्रवेश परीक्षा
समिति की सिफारिश है कि शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए ड्रॉपआउट या फिर फेल होने की स्थिति में जो छात्र स्कूल छोड़ देते हैं, उन्हें दोबारा जोड़ने से पहले प्रवेश परीक्षा लेकर जांच लें कि वह पढ़ सकते हैं या नहीं? यदि छात्र प्रवेश परीक्षा पास करता है तो उसे एकेडमिक पढ़ाई में दाखिला दिया जाए। अन्यथा वोकेशनल ट्रेनिंग के माध्यम से रोजगार के मौके उपलब्ध करवाने में मदद करें।
बच्चों को जरूरत पर मिले इलाज
शिक्षा की गुणवत्ता बच्चों के स्वास्थ्य के बगैर अधूरी है। इसलिए खासकर दूर-दराज के सरकारी स्कूलों में मोबाइल हेल्थ वैन के जरिए बच्चों की हर तीन महीने में स्वास्थ्य जांच करवाई जाए। इसके लिए केंद्र और राज्य सरकार को डॉक्टरों का बैंक तैयार करना होगा।
ताकि यदि किसी बच्चे को डॉक्टरी जांच की जरूरत पड़े तो तुरंत मदद मिल सके क्योंकि देश में हर तीसरी बच्ची कुपोषण का शिकार है, जबकि दूसरी लड़की अनीमिया से ग्रस्त।
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